भीड़ का यथार्थ

लोग कहते हैं कि राहुल गाँधी के साथ बड़ी भीड़ है

इससे मुझे याद आया कि मेरे बचपन में जब बन्दर लेकर मदारी सड़क पर आता था बड़ी भीड़ आ जाती थी I बन्दर ढोलक बजाता था तो मदारी पूंछता था बन्दर से कहाँ चले ? जब बन्दर और ज़ोर से ढोलक बजाता था तो मदारी कहता था मैं समझा, तुम ससुराल जा रहे हो I

यही हाल भारत जोड़ो यात्रा की भीड़ का है I

शेक्सपियर ने अपने नाटक जूलियस सीज़र में भीड़ का बहुत अच्छा वर्णन दिया है जब सीज़र का क़त्ल हो गया तब भीड़ उसके क़ातिल को ढूंढ़ने निकली उन्हें एक कवि मिल गया जिसका नाम था सिन्ना था I वही नाम था एक सीज़र के हत्यारे का भी I जब उसकी तरफ उग्र होकर भीड़ बढ़ी तो उसने चिल्लाया कि मैं सिन्ना हत्यारा नहीं बल्कि सिन्ना कवि हूँ I भीड़ ने कहा कि इसकी घटिया कविता के लिए इसे मारो और फिर लोगों ने उसे मार डाला I

यही भीड़ों का हाल होता है I या तो बन्दर जैसे नाचने लगते हैं, या रोम की भीड़ जैसे बिना अक़्ल का इस्तेमाल किये भावुक हो जाते है

हरि ॐ

 

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